चुनाव चाहे कोई भी हो- लोकसभा,राज्यसभा,विधान सभा,विधान परिषद्,नगर पालिका के, उम्मीदवार की चुनाव में विजय अथवा पराजय का निर्णय करने में कुछ विशेष ज्योतिष तत्वों का समावेश होना आवश्यक है। लोकतांत्रिक चुनाव और ज्योतिष-LOKTANTRIK CHUNAAV AUR JYOTISH-EECTIONS & ASTROLOGY
चुनावी ज्योतिष का उपयोग किसी भी लोकतांत्रिक चुनावों में कार्य आरंभ करने के लिए सबसे उपयुक्त समय(शुभ मुहूर्त) चुनने में किया जाता है। उदेश्य होता है एक सफल परिणाम प्राप्त करना है, और तथा इस्मे प्रयुक्त ज्योतिषीय नियम विशेष रूप से उस उद्देश्य के लिए निर्धारित किए गए हैं।
चुनाव चाहे कोई भी हो- लोकसभा, राज्यसभा , विधान सभा, विधान परिषद्, नगर पालिका, नगर परिषद के, चुनाव से सम्बंधित घटनाओं के दिन तारीख (चुनाव आयुक्त) द्वार पूर्व निर्धारित होते हैं और उम्मीदवार को वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए उचित समय का “चुनाव” करना होता है। हालाँकि इन सभी चुनावों के लिए ज्योतिषीय नियम समान हैं, उन्हें अलग-अलग तरीके से लागू किया जाता है।
प्रस्तुत लेख में ज्योतिष शास्त्र के विविध नियमो का समग्र अभ्यास एवं अध्ययन करके शास्त्र के मूलभूत सिद्धांतो को सामान्य जन तथा चुनावी उम्मीदवारों को निष्पक्ष और सत्य आधारित सलाह और मार्गदर्शन प्राप्त हो यही इस लेख का उद्देश्य है।
चुनावी ज्योतिष
चुनावी ज्योतिष, जिसे Electional Astrology के रूप में भी जाना जाता है, ज्योतिष की अधिकांश परंपराओं में पाई जाने वाली एक शाखा है जिसके अनुसार एक ज्योतिष उस समय की ज्योतिषीय शुभता के आधार पर किसी घटना के लिए सबसे उपयुक्त समय तय करता है। यह प्रश्नोत्तरी ज्योतिष (Horary Astrology) से भिन्न है क्योंकि, जहां प्रश्नोत्तरी ज्योतिषी प्रश्न पूछे जाने के तारीख़ और समय के आधार पर किसी प्रश्न का उत्तर ढूंढना चाहते हैं, वहीं चुनावी ज्योतिषी में उस समयावधि का पता लगाना चाहते हैं जिसके परिणामस्वरूप योजना बनाई जा रही किसी घटना के लिए सबसे बेहतर परिणाम प्राप्त होगा।
उम्मीदवार को चाहिए की वह अपने चुनावी सलाहकारों से विचार विमर्श करके, उम्मीदवारी की घोषणा से लेकर चुनाव के परिणाम घोषित होने तक के समयावधि की एक कार्य सूचि तैयार करे। ज्योतिष को चाहिए इस सूचि के अनुरूप प्रत्येक कार्य हेतु एक से अधिक शुभ मुहूर्तो की गणना करके उम्मीदवार को उपलब्ध करवाए।
इसके पश्चात ज्योतिषी का कार्य आरम्भ होता है की वे उस चुनाव के घटित होने के लिए सबसे शुभ तारीख और समय ढूंढता है, जिसके आधार पर उम्मीदवार अपने आगे की योजनाओं को कार्यान्वित करता है। इन निष्कर्षों पर पहुंचने की विधि विभिन्न समयों पर नव ग्रहो और नक्षत्रो, उपनक्षत्रो की सापेक्ष स्थिति पर आधारित है। प्रत्येक ग्रह की स्थिति उस विधि के लिए कुछ विशेष अर्थ रखती है जिसका उपयोग ज्योतिषी उमीदवार की कुंडली के साथ संयोजन कर रहा होता है।
भविष्य में किसी निश्चित समय पर जिस स्थान पर घटना घटित होगी, उसके लिए चुनाव चार्ट ज्योतिष द्वारा स्वयं तैयार किया जाना चाहिए। उदाहरणार्थ निम्नलिखित चार्ट आवश्यक होते है ......
जन्म कुण्डली और उसकी नवांश कुण्डली अथवा उसके न होने की स्थिति में प्रश्न कुण्डली एवं उसकी नवांश कुण्डली ।
यदि उम्मीदवार एक स्त्री है तो नवांश कुण्डली के साथ–साथ त्रिंशांश कुण्डली की भी जरूरत पड़ेगी।
विंशोत्तरी महादशा, उसकी अन्तर्दशा तथा प्रत्यन्तर्दशा सारणी ।
जिस वर्ष में चुनाव हो रहे हों उम्मीदवार की उस वर्ष की कुण्डली, साथ ही वर्ष की मुद्दा दशा, त्रिपताका चक्र, मास कुण्डली तथा वर्षेश निर्णय भी हो।
यदि नामांकन–पत्र भरने की तारीख और वोट डाले जाने की अथवा चुनाव परिणाम घोषित होने की तारीख किसी उम्मीदवार की आयु के दो अलग–अलग वर्षों में पड़ती हों तो दोनों वर्षों का पूरा गणित होना होगा।
इसी प्रकार यदि उपर्युक्त तारीखें दो अलग–अलग आयु सम्बद्ध मास में पड़ती हों तो दोनों महीनों की मास कुण्डलियाँ बनानी होंगी।
मास – कुण्डली के आधार पर २1⁄2-२1⁄2 दिन की होरा कुण्डलियाँ भी उन तारीखों का समावेश करते हुए बनानी होंगी जिन तारीखों को नामांकन पत्र दाखिल करना है, जिन तारीखों को वोट पड़ने हैं तथा जिस तारीख को चुनाव परिणाम घोषित होना है।
चुनावों में किस्मत आजमाने वालों की कुंडली में अथवा जन्मा कुंडली के अभाव में प्रश्न कुंडली में राजयोग योग की उपस्थिति होना चाहिए। इस योग से ही कोई सत्ता का सुख भोगता है।
ज्योतिष शास्त्र में मुख्यत: 5 प्रकार के राजयोग हैं – रूचक, भद्र, हंस, मालव्य और शश योग। मंगल ग्रह से रूचक योग, बुध से भद्र, बृहस्पति से हंस, शुक्र से मालव्य और शनि से शश योग बनता है।
उम्मीदवार की कार्य सूचि और ज्योतिषी द्वारा कुंडली विवेचन के मुख्य बिंदु
चुनाव का समय आते ही उम्मीदवारों के मन में हर पल एक सवाल उठता है – क्या मुझमे चुनाव जीतने की संभावना है? इसका पता लगाने के लिए, “electional astrology” (chunavi jyotish) – “the science of timing” – महत्वपूर्ण होते हैं.
कुछ लोगों को राजनीति में सफलता आसानी से मिल जाती है, तो कुछ लोग कड़ी मेहनत के बावजूद भी सफल नहीं हो पाते. ऐसा क्यों होता है ? दरअसल इसका जवाब हमारे वैदिक ज्योतिष में छिपा है. ऐसे कौन से योग हैं, जो व्यक्ति को सत्ता सुख दिला देते हैं और राजनीति के क्षेत्र में अपना नाम कमा लेते हैं. समाज में अपना रुतबा बनाने में कामयाब हो जाते हैं. दूसरी तरफ कुछ लोग अपना समय भी देते हैं पैसे भी लगाते हैं लेकिन जब बात सत्ता की सीढ़ी की आती है तो ऐसे लोग एक दो पायदान भी नहीं चढ़ पाते हैं.
नामांकन दाखिल करने की तिथि
चुनाव चाहे कोई भी हो- लोकसभा, राज्यसभा , विधान सभा, विधान परिषद्, नगर पालिका, नगर परिषद के, चुनाव से सम्बंधित घटनाओं के दिन तारीख (चुनाव आयुक्त) द्वार पूर्व निर्धारित होते हैं और उम्मीदवार को वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रत्येक कार्य को आरम्भ करने के लिए उचित समय का अर्थात उपलब्ध सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त का “चुनाव” करना चाहिए । हालाँकि इन सभी चुनावों के लिए ज्योतिषीय नियम समान हैं, उन्हें अलग-अलग तरीके से कार्य की प्रकृति अनुसार लागू किया जाता है।
चुनाव में उम्मीदवारी घोषित होने के पश्चात सर्व प्रथम कार्य होता है सफलतापूर्वक नामांकन दाखिल करना।
ज्योतिषी को चाहिए की वे उस महीने की मासिक कुंडली के आधार पर २1⁄2-२1⁄2 दिन की होरा कुण्डलियाँ भी उन तारीखों का समावेश करते हुए बनानी होंगी जिन तारीखों को नामांकन पत्र दाखिल करना है, जिन तारीखों को वोट पड़ने हैं तथा जिस तारीख को चुनाव परिणाम घोषित होना है।
नामांकन पत्र दाखिल करने के मुहूर्त की शुभता अशुभता की यथोचित तुलना चुनाव की तारीख तथा चुनाव परिणाम घोषित होने की तारीख के साथ नियमानुसार कर लें। नामांकन दाखिल करने का कार्य संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया का आरम्भ बिंदु है यह कार्य यदि बिना विघ्न के संपन्न कर लिया जाये तो आगे के कार्यो में सफलता का प्रमाण निश्चित होता हैं।
नामांकन पत्र दाखिल करने की तारीख और समय का निर्धारण, तात्कालिक (अर्थात नामांकन पत्र दाखिल करने के प्रस्तावित समय की) कुण्डली बनाकर किया जाए । उस दिन के लिए दो या तीन अलग अलग शुभ मुहूर्त निर्धारित किये जाए, क्योंकि संभव है उम्मीदवार ने जिस डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर अथवा चुनाव अधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल करना है उनकी कार्य व्यस्ता के चलते आपके समय में देरी हो, उनके कार्यालय में भीड़ हो, अन्य उम्मीदवारों की भी भीड़ हो, कागजी कार्यवाही में अनपेक्षित समय लग सकता है, अथवा अन्य किसी कारण से निर्धारित एक ही शुभ मुहूर्त की पाबन्दी नहीं हो पावे।
यदि अशुभ चन्द्र होने से नामांकन पत्र दाखिल करने के निर्धारित दिनों में उम्मीदवार के लिए चन्द्रमा की शुभ स्थिति उपलब्ध नहीं हो रही हो तो चन्द्रमा की नवांश स्थितियों का विचार करके नामांकन-पत्र दाखिल करने का दिन तथा समय निर्धारित किया जाय। इसी प्रकार यदि निर्धारित दिन में चुनाव- दफ्तर के कामकाज के समय में उम्मीदवार के लिए कोई शुभ लग्न वाला समय निश्चित नहीं हो पा रहा हो तो लग्न के नवांश भागों का विचार करके, समय निर्धारित कर लें ।
नामांकन पत्र भरने का दिन निर्धारित करते समय उस दिन के चन्द्र-नक्षत्र का उम्मीदवार के नाम-नक्षत्र के साथ ‘त्रि-रज्जु’ विधा से यह देख लें कि चन्द्र-नक्षत्र और नाम-नक्षत्र का वेध तो नहीं है। उसी प्रकार ग्रहो के बलाबल और शुभता अशुभता भी ज्योतिष सूत्रों के अनुसार निश्चित कर लेना आवश्यक है।
प्रायः कई उम्मीदवारों के पास न जन्म की सही तारीख आदि होती है, और न जन्म का समय। ऐसे मामलों में प्रश्न कुण्डली बनाई जाय ।