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Surya Rahu Grahan Dosha Nivaran Yantra सूर्य ग्रहण दोष निवारण के लाभ

Surya Rahu Grahan Dosha Nivaran Yantra

आज हम बात करेंगे सूर्य ग्रहण की. कुंडली में सूर्य ग्रहण भी राहु-केतु की बुरी दृष्टि की वजह से ही लगता है. सूर्य के साथ राहु का होना या राहु का लग्न में बैठना सूर्य ग्रहण का कारण बनता है. जब राहु सूर्य को पीड़ित करता है तो कुंडली में पितृ दोष भी लगता है. ऐसे में व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक सेहत तो खराब होती ही है, साथ ही आर्थिक रूप से भी उसे काफी परेशानियां झेलनी पड़ जाती हैं. यदि समय रहते व्यक्ति कुछ ज्योतिषीय उपाय कर ले तो इस कारण मिलने वाली तमाम समस्याओं से मुक्ति पा सकता है.

सूर्य राहु ग्रहण दोष यंत्र : सूर्य राहु ग्रहण दोष से छुटकारा पाने के लिए घर में सूर्य राहु ग्रहण दोष यंत्र लाएं. यह ग्रहण दोष के नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करता है. इस यंत्र के प्रभाव से राहु शांत होता है और सौभाग्य बढ़ाता है. यह यंत्र ग्रहण योग के बाधाओं और दुर्भाग्य से बचाता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है और परिवार के बुजुर्ग सदस्यों के साथ संबंधों में सुधार आता है. यह यंत्र ग्रहण योग से होने वाली बेचैनी और चिंता के कारणों को भी दूर करता ह

 

सूर्य राहु ग्रहण दोष निवारण यंत्र की स्थापना इस दोष के हानिकारक प्रभावों को कम करता है. इसके अलावा आपको गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान करना चाहिए. ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र के जाप और हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी ग्रहण दोष से छुटकारा मिलता है. सूर्य को जल चढ़ाना और सूर्य मंत्र, आदित्य हृदय स्तोत्र या गायत्री मंत्र का जाप भी ग्रहण दोष के दुष्प्रभावों को कम करता है.

 

ऐसा कहा जाता है कि सूर्य के पीड़ित होने से पितृदोष भी बनता है और सूर्य के राहु के साथ होने से सूर्य ग्रहण दोष उत्पन्न होता है। सूर्य ग्रहण कुंडली के किसी भी भाव, खाने या घर में हो तो वह उस भाव के फल खराब कर देता है। ऐसे में उसके उपाय करना जरूरी है।

 

सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा : भारतीय ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व होता है। ये भी देखा गया है कि जिस भी जातक की जन्मकुंडली में राहु या केतु का योग सूर्य के साथ होता है तो, इस स्थिति में कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष का निर्माण होता है। इस दोष से पीड़ित जातक जीवनभर अलग-अलग प्रकार की समस्याओं से परेशान रहता है। वो व्यक्ति पिता के सुख से तो वंचित रहता ही है, साथ ही ये दोष उसके पिता को स्वस्थ्य संबंधी कई परेशानी भी देता है। इस दोष का नकारत्मक प्रभाव जातक को करियर, पारिवारिक जीवजन व आर्थिक जीवन से जुड़ी भी कई समस्या देने का कार्य करता है। ऐसे में इन सभी परेशानियों को दूर करने के लिए सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा कराना अति आवश्यक होता है। ये पूजन-अनुष्ठान किसी विद्वान या योग्य पंडित द्वारा करने में लगभग 5 से 6 घंटे का समय लगता है।

 

 

    पूजा की संपूर्ण जानकारी और विधि

 

योग्य कर्मकांडी ब्राह्मण करते हैं मार्गदर्शन : एस्ट्रोसेज के वरिष्ठ पुरोहित के नेतृत्व में सभी पाठ संपन्न किए जाते हैं। हमारे प्रतिष्ठित व वरिष्ठ ज्योतिषी, अपनी विद्या की मदद से जन कल्याण का कार्य करते हुए जातकों के दुखों, कष्टों और समस्याओं का निवारण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। खास बात ये कि पूजा-पाठ करने वाले हमारे ज्योतिषी व पुरोहित अकादमिक और ज्योतिषीय योग्यता व अनुभव के मापदंडों पर प्रमाणित होते हैं, उन्हें स्वयं एस्ट्रोसेज वैरिफाइड करता है और ये वरिष्ठ पुरोहित पूजा-पाठ के दौरान, आपके हर प्रश्न का सरलता व स्पष्टता से उत्तर देने में पूरी तरह सक्षम होते हैं।

विस्तृत पूजा विधि : किसी भी पूजा की शुरुआत वैदिक मंत्रों के उच्चारण व जप के साथ होती है। पूजा में “होमा” (हवन) अनुष्ठान भी शामिल है जिसमें घी, तिल, जौ और अन्य पवित्र सामग्री व मंत्र का पाठ करते हुए, अग्नि को अर्पित की जाती है। जातक को इस पूजा से सर्वश्रेष्ठ लाभ देते हुए, उसकी समस्या को दूर करने के लिए यज्ञ एक महत्वपूर्ण उपाय होता है। अधिकतम सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए, वैदिक पूजा सबसे अच्छे मुहूर्त, नक्षत्र के दिन करनी चाहिए। शुभ मुहूर्त के दौरान पूजा को पूरा करने के लिए, एक पुजारी यानी एक पंडित जी को नियुक्त किया जाता है, जो समय अनुसार पूजा को संपन्न करते हैं

पूजा के लाभ :

 

वैदिक ज्योतिष अनुसार पूजा करने से जीवन में समृद्धि आती हैं।

 

पूजा कराने से जातक को मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।

 

जातक के व्यवहार में सकारात्मकता आती है।

 

जीवन में प्रसिद्ध , मान्यता और मान-सम्मान प्राप्त होता है।

 

घर के सदस्यों का स्वास्थ्य बेहतर होता है।

 

यह पूजा अथवा अनुष्ठान कराने से आपके महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं।

 

इस पूजा के प्रभाव से आपके वो सभी कार्य जो रुके हुए थे, वो पूरे हो जाते हैं।

 

शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं।

 

नौकरी, करियर और जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है।

 

पूजाअनुष्ठान में होता है चमत्कारी वैदिक मंत्रों का उच्चारण : पूजा-अनुष्ठानों के दौरान पारंपरिक वैदिक मंत्रों का जप, जातकों के लिए बहुत महत्व रखता है। इस जप से ही मन, आत्मा और ऊर्जा को शुद्ध करने में मदद मिलती है, जिससे जातक मानसिक शक्ति और कौशल को पुनः प्राप्त करने में सक्षम होता है। इन वैदिक मंत्रों के जप से मिलने वाली सकारात्मक ऊर्जा से वातावरण में शांति और समृद्धि आती है, जिससे सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलती हैं। पूजा-पाठ के दौरान उससे संबंधित मंत्रों का जाप ही जातक को आध्यात्मिक जागृति की ओर ले जाता है और उसे देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलना सुनिश्चित होता है। साथ ही मंत्रों की मदद से ही जातक को पूजा से शुभाशुभ परिणाम और आशीर्वाद के लिए देवी-देवताओं को प्रसन्न करने में भी मदद मिलती है।

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