इस विशेष महा उपाय से
महावारुणी योग 2024-
वारुणी योग चैत्र माह में बनने वाल एक पुण्यप्रद महायोग है जिसका वर्णन विभिन्न पुराणों में मिलता है। यह महायोग तीन प्रकार का होता है
- चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को वरुण नक्षत्र (शतभिषा) हो तो वारुणी योग
- चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा और शनिवार हो तो महावारुणी योग।
- चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र, शनिवार और शुभ योग (कुल 27 योगों में से 23वां योग) हो तो महामहावारुणी पर्व होता है।
इस महायोग में गंगा आदि तीर्थ स्थानों में स्नान, दान और उपवास करने से करोड़ों सूर्य ग्रहणों के समान फल प्राप्त होता है।
भविष्यपुराण के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यदि शनिवार या शतभिषा से युक्त हो तो वह महावारुणी पर्व कहलाता है | इसमें किया गया स्नान, दान एवं श्राद्ध अक्षय होता है।
चैत्रे मासि सिताष्टम्यां शनौ शतभिषा यदि ।
गंगाया यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।।
सेयं महावारुणीति ख्याता कृष्णत्रयोदशी ।
अस्यां स्नानं च दानं च श्राद्धं वाक्षयमुच्यते ।।
#नारदपुराण
वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी ।।
गंगायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।। ४०-२० ।।
#स्कन्दपुराण
“वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी। गङ्गायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा॥
शनिवारसमायुक्ता सा महावारुणी स्मृता। गङ्गायां यदि लभ्येत कोटिसूर्यग्रहैः समा॥”
#देवीभागवत पुराण
“वारुणं कालिकाख्यञ्च शाम्बं नन्दिकृतं शुभम्।
सौरं पाराशरप्रोक्तमादित्यं चातिविस्तरम्॥”
#त्रिस्थलीसेतु
चैत्रासिते वारुणऋक्षयुक्ता त्रयोदशी सूर्यसुतस्य वारे।
योगे शुभे सा महती महत्या गंगाजलेर्कग्रहकोटितुल्या।।
इस विशेष योग काल में राहु, केतु, शनि एवं पितृ दोष क्षमणार्थ किये गए उपाय का फल कई गुणा प्राप्त होता है।
महावारुणी पर्व के मुहूर्त और महत्त्व के विषय में कहा जाता है की कि वारुणी योग एक अत्यंत ही शुभ एवं उत्तम गति प्रदान करने वाला समय होता है। छह अप्रैल शनिवार को प्रातः 10:17 से सांय 03:38 बजे तक यह योग रहेगा। यह अत्यंत पावन शुभ मुहूर्त भी है जो अबूझ मुहूर्त में भी गिना जाता है। इस योग के प्रत्येक क्षण पवित्रता से भरपूर और शुभ दायक माना गया है। धर्म सिंधु, काशी आदि ग्रंथों में भी इस पर्व का वर्णन देखने को मिलता है।
इस दिन पवित्र नदियों में किया गया स्नान, दान एवं श्राद्ध कार्य, कहा जाता है की पितरो के निमित्त तर्पण , गौ दान ,ग्रह दोष निवारण के उपाय इत्यादि कार्य अक्षय फल देने वाला होता है।
मान्यताओं के अनुसार सृष्टि चक्र अपने शुभ स्तर पर होता है। इसलिए इसे देवताओं के लिए भी असाध्य और कठिन बताया गया है क्योंकि उन्हें भी इस स्नान का फल लेने के लिए पृथ्वी पर आना पड़ता है।गंगा जल करें स्नान फिर दानवारुणी योग में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी, घाट या सरोवर इत्यादि में स्नान करना चाहिए। यदि संभव नही हो तो घर पर ही स्नान वाले जल में गंगा जल मिलाकर समस्त नक्षत्रों को स्मरण करते हुए स्नान करना चाहिए। उसके बाद भगवान शिव और विष्णु का पूजन करना चाहिए। तुलसी के समक्ष दीपक जलाकर धार्मिक ग्रंथों गीता, भागवत, रामायण इत्यादि का पाठ करना चाहिए। साथ ही इस दिन व्रत करके रात्रि में तारों को अर्ध्य देकर भोजन करने की परंपरा भी है। दीप दान, हवन, यज्ञ और विभिन्न अनुष्ठान आदि करने से पाप और ताप का शमन होता है। इस दिन किए जाने वाला अन्न, धन और वस्त्र दान का शुभता देने वाला है।
महावारुनी योग - शनि+राहु +केतु विशेष महा उपाय
छह अप्रैल शनिवार को प्रातः 10:17 से सांय 03:38 बजे तक यह योग रहेगा।
साबूत उड़द बोलते हैं आपने वो ली, आप शनिवार के दिन उसे उबालिए, उसमें प्याज, लहसुन का तड़का सरसों के तेल के साथ में लगाइए। अब इसके लिए इसके साथ में आपने आठ रोटी बना लेनी है। जो भी घर की महिला हो, जो मुख्य महिला हो वो इस भोजन को तैयार करे। आठ रोटी बना लेनी है अब जिस भी व्यक्ति के लिए आपको बताया गया है कि उसका शनि खराब है, राहु खराब है, केतु खराब है, वह व्यक्ति शनि मंदिर चला जाए, जो बाहर भिखारी लोग बैठे होते हैं, उसमें उसने क्या करना है?
चार रोटी दाल के साथ उसने पुरुष भिखारी को देनी है, तीन रोटी दाल के साथ में स्री भिखारी को देनी है। तथा एक रोटी दाल के साथ किसी बालक भिखारी को देना है।
इसके पश्चात् एक पानी की बोतल और कुछ पैसे भी देना चाहिए ताकि प्राप्त करने वाले का संपूर्ण समाधान हो सके
इस उपाय को महावारुनी योग में आरंभ करे तथा कम से कम ८ शनिवार निरंतर करना चाहिए। जिन लोगों को कहा गया है की आपका राहु, शनि अथवा केतु खराब है, या शनि महादशा चल रही हो या साढ़ेसाती या ढैया से त्रस्त हो वे चाहे तो संपूर्ण कालावधि भर इस उपाय को विश्वासपूर्वक संपार्पण भाव से करे।