जीवन में जब कभी भी परेशानी आती है तो एक बार मन में यह सवाल जरुर उठता है कि आखिर पिछले जन्म( Poorva Janam ) में ऐसा कौन सा पाप किया है कि इसकी सजा मिल रही है।
अगर आप ऐसा सोचते हैं तो इसमें कुछ गलत भी नहीं है। क्योंकि इस जन्म के सुख दु:ख का संबंध पूर्वजन्म से भी होता है। यह बात परामनोविज्ञान और ज्योतिषशास्त्र दोनों कहता है। ज्योतिषशास्त्र कहता है कि व्यक्ति चाहे तो स्वयं भी अपने पूर्वजन्म के बारे में जान सकता है लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार 84 लाख योनीयों में से किसी एक योनी में जन्म लेता है. मनुष्य के मन में यह जिज्ञासा रहती है कि मैं पूर्व जन्म में कौन था, किस योनी में था और कहां से आया हूं? इन सब प्रश्नों के उत्तर भारतीय ज्योतिष के द्वारा संभव है. जन्म कुंडली का पंचम भाव, पंचम भाव का स्वामी एवं पंचम भाव स्थित ग्रह व सूर्य और चंद्रमा में जो ग्रह बली हो उसकी द्रेष्काण में स्थिति, पुर्नजन्म के बारे में बताती है. महर्षि पराशर के ग्रंथ बृहतपराशर होरा शास्त्र के अनुसार जन्मकालिक सूर्य और चंद्रमा में से जो बली हो, वह ग्रह जिस ग्रह के द्रेष्काण में स्थित हो, उस ग्रह के अनुसार जातक का संबंध उस लोक से था. कुंडली के पंचम भाव के स्वामी ग्रह से जातक के पूर्वजन्म के निवास का पता चलता है.
पूर्नजन्म में आपके जन्म स्थान की दिशा :
जन्म कुंडली के पंचम भाव में स्थित राशि के अनुसार जातक के पूर्वजन्म की दिशा का ज्ञान होता है.