UTPANNA EKADASHI GAU DAAN - INDIA ASTROLOGY FOUNDATION

EKADASHI GAU DAAN- 8 दिसंबर उत्पन्ना एकादशी पर अद्भुत संयोग

उत्पन्ना एकादशी का महत्व: EKADASHI GAU DAAN- उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है. जो लोग इस शुभ दिन पर उपवास करते हैं, गौ दान करते है, उन्हें सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है. इसके साथ ही भगवान श्री हरि विष्णु के आशीर्वाद से उसके दुख, दोष और दरिद्रता दूर हो जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने वाले लोग सीधे बैकुंठ धाम जाते हैं.

इस तिथि का महत्व कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इसके अनुसार, हजारों कन्यादान और लाखों गौदान से जो पुण्य प्राप्त होता है, वही फल उत्पन्ना एकादशी पर दान पुण्य व्रत वैकल्य करने से प्राप्त होता है.

आगे जानिए इस व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व अन्य खास बातें…

कृष्णपक्ष उत्पन्ना एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष की शुरुआत हो चुकी है जो श्री कृष्ण का प्रिय महीना माना जाता है.  26 दिसंबर 2023 तक मार्गशीर्ष (Margsheersh) रहेगा.  इस दौरान पूरे विधि विधान और सच्चे भक्ति भाव से श्रीकृष्ण (Lord Krishna) की आराधना का विधान है.  वैसे तो हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ज्यादा महत्व होता है लेकिन ये मार्ग शीर्ष महीना है इसलिए एकादशी के व्रत का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. 

 

  • एकादशी तिथि की शुरुआत : 8 दिसंबर 2023 सुबह 5 बजकर 6 मिनट तक 
  • एकादशी तिथि का समापन 9 दिसंबर 2023 सुबह 6 बजकर 31 मिनट तक 
  • उत्पन्ना एकादशी का व्रत 8 दिसंबर को रखा जाएगा।
  •  पारण का समय: 9 दिसंबर 2023 दोपहर 1:16 बजे से 3:20 मिनट पर होगा

उत्पन्ना एकादशी 2023: पूजा अनुष्ठान

इस दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठते हैं, स्नान करते हैं और ब्रह्म मुहूर्त में भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। व्यक्ति साफ कपड़े पहनता है और भगवान कृष्ण की पूजा करता है। इसके बाद वे घर में गंगाजल छिड़कते हैं। पूजा के लिए भगवान गणेश और भगवान कृष्ण की मूर्तियों को रखा जाता है। तुलसी की मंजरी भगवान गणेश को अर्पित की जाती है। उसके बाद भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवेद्य, रोली और अक्षत चढ़ाया जाता है। इसके बाद मां एकादशी की पूजा की जाती है।

पूजन के बाद आरती करें और प्रसाद बांटें। देवताओं को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रसाद के तौर पर एक विशेष भोग तैयार किया जाता है और उन्हें चढ़ाया जाता है। भक्ति मंत्र उच्चारण और गीत इस पूजा का हिस्सा हैं। याद रखें कि पूजा बिना किसी गलत इरादे के साफ दिल और दिमाग से की जानी चाहिए। पूजा के बाद मां एकादशी के जन्म से जुड़ी उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा को सुनना जरूरी है।

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अधिक प्रभावी परिणामों के लिए, पूजा के दौरान विष्णु मंत्र उच्चारण करना चाहिए। मंत्र का उल्लेख नीचे किया गया है।

 

शांताकाराम भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम,
विश्वधरम गगनसदृसम मेघवर्णम सुभमगम।
लक्ष्मी कांतम कमलनयनम योगीभिर्ध्यान गम्यम,
वन्दे विष्णुं भवभयाहरम सर्वलोकैका नाथम।।

 

उत्पन्ना एकादशी, सभी एकादशी में से पहली एकादशी है और हिंदू वैदिक शास्त्रों और लोककथाओं में इसका बहुत महत्व है। उत्पन्ना एकादशी का प्रारंभिक उल्लेख भविष्योत्तर पुराण में देखा जा सकता है, जो युधिष्ठिर और भगवान विष्णु के बीच संवाद में मौजूद है। इस त्योहार का महत्व संक्रांति जैसे शुभ आयोजनों के बराबर है, जहां भक्त दान और दान की क्रिया करके कई पुण्य प्राप्त करते हैं। इस दिन मनाया जाने वाला व्रत भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के लिए किए गए उपवास के बराबर है। इसलिए आशीर्वाद प्राप्त करने और अपने अतीत और वर्तमान के पापों से छुटकारा पाने के लिए पूरे समर्पण के साथ व्रत एवं दान करना चाहिए चाहिए।

जानें, क्यों किया जाता है उत्पन्ना एकादशी गौ दान और क्या है इसका धार्मिक महत्व

उत्पन्ना एकादशी व्रत तथा गौ दान करने से सहस्त्र गौदान का पुण्यफल मिलता।  वैज्ञानिक
दृष्टिकोण से भी गाय एक धन है। इसमें माता की ममता होती है। 

सनातन धर्म में गाय को माता की उपाधि दी गई है। इसके लिए गाय को गौ माता कहकर पुकारा जाता है। वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों में गाय को धन बताया गया है। उत्तर वैदिक काल में गौ माता की सेवा का वर्णन विस्तार से किया गया है। भगवान श्रीकृष्ण को गाय अतिप्रिय है। द्वापर युग में ग्वालों के साथ भगवान श्रीकृष्ण वन जाते थे। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी गाय एक धन है। इसमें माता की ममता होती है। गाय से दुग्ध उत्पादन होता है। इसके लिए दुनियाभर के कई देशों में गाय पालन किया जाता है। वहीं, भारत में गौ सेवा, गौ पालन और गौ रक्षा पर विशेष बल दिया जाता है। शास्त्रों में गौ दान का उल्लेख भी निहित है। किदवंती है कि मृत्यु उपरांत व्यक्ति को वैतरणी नदी पार करना होता है। इस दौरान गौ दान करने वाले को वैतरणी नदी में गाय मदद कर व्यक्ति को नदी पार कराती है। वहीं, जिस व्यक्ति ने गौ दान नहीं किया होता है। उसे वैतरणी नदी पार करने में कठिन पीड़ा होती है। इसके अलावा, गौ दान के कई अन्य फायदे भी हैं। आइए, गौ दान के बारे में विस्तार से जानते हैं-

  • गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है।
  • गौ माता की पूजा से पापों का हरण और कष्टों का निवारण हो जाता है।
  • इसी कारण गौ सेवा या गौ दान से व्यक्ति को अक्षय फल की प्राप्ति होती है और श्री कृष्ण का आशीर्वाद भी मिलता है।
  • गौ माता को धन माना जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि गौ माता में लक्ष्मी मां का भी वास होता है और लक्ष्मी मां धन की देवी हैं।
  • ऐसे में गौ माता अमूल्य धन के बराबर हैं। इनका दान पंच महा दानों से भी सर्वश्रेष्ठ माना गया है। गौ दान से मृत्यु के बाद का मार्ग सरल हो जाता है।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की साढ़े साती या ढैय्या के समय काली गाय का दान शुभ माना गया है। इससे शनि का दुष्प्रभाव कम होता है।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवग्रहों की शांति के लिए भी गौ दान शुभ माना गया है। गौ दान के ग्रहों की अशुभ दशा भी शुभ हो जाती है।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर मंगलभारी है या मंगल दोष के कारण जीवन में उथल-पुथल मची हुई है तो गौ दान करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गौ दान करने से पितृ हमेशा खुश रहते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृ अपना आशीर्वाद बरसाते हैं।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गौ दान करने से व्यक्ति कर्ज, आर्थिक तंगी आदि समस्याओं से मुक्त हो जाता है। उसपर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गौ दान करने से श्री कृष्ण की असीम कृपा मिलती है और व्यक्ति के जीवन की कठिनाइयां दूर हो जाती हैं।
  • घर परिवार में मंगल कार्यों की शुरुआत होती है। बच्चों के करियर और विवाह में आ रही विघ्न बाधाओ का नाश होता है।

     
    उत्पन्ना एकादशी के उत्पन्न होने की कहानी है। इस दिन भगवान विष्णु से पैदा हुई एकादशी के बारे में कथा सुनाई जाती है। उत्पन्ना एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मार्गशीर्ष मास की कृष्ण एकादशी को एकादशी प्रकट हुई थी। इसलिए इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा है। इसी दिन से एकादशी व्रत शुरू हो गया। 
     

    तो ये था गौ हिन्दू धर्म में गौ दान का महत्व और उससे मिलने वाले लाभों की जानकारी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट इंडिया एस्ट्रोलॉजी फाउंडेशन के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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