चंद्रमा का ग्रहण योग बढ़ाता है परेशानी, इन उपायों से दूर होंगी मुश्किलें
चंद्र राहु ग्रहण दोष आपके जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, जिससे कई तरह की परेशानियाँ हो सकती हैं। लेकिन इसके बारे में चिंता करने से कोई फायदा नहीं होगा। सबसे अच्छा तरीका यह है कि ऐसे उपाय खोजें जो इसके प्रभावों को कम कर सकें। इंडिया एस्ट्रोलॉजी फाउंडेशन में, हम सिद्ध और प्रभावी उपायों की एक श्रृंखला प्रदान करते हैं जो चंद्र राहु ग्रहण दोष के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
राहु-चंद्रमा की युति का प्रभाव :
राहु-चंद्रमा की युति को ग्रहण योग कहा जाता है।
मान्यता है कि इससे व्यक्ति को डिप्रेशन या मेंटल हेल्थ की समस्या हो सकती है।
चंद्रमा-राहु की नजदीकी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में भी खटास ला सकती है।
इस युति से जीवन में बाधा, गुप्त शत्रु और पानी का खतरा रहता है।
राहु की स्थिति खराब होने पर व्यक्ति को बीमारियां घेरने लगती है।
महिलाएं अपनी सास या ससुराल, परिवार के साथ बंधन को लेकर चिंतित रहती हैं।
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कार्यक्षेत्र पर भी पड़ता है असर:- :
जब चंद्रमा और राहु बनते हैं तो व्यक्ति की नींद में खलल पड़ने लगता है। उसे बुरे विचार और सपने आने लगते हैं।
इसके साथ ही ये लोग हर काम को लेकर आशंकित होने लगते हैं चाहे वह नौकरी हो, व्यवसाय हो या पारिवारिक जीवन।
इस योग के कारण जातक के मन में अपने जीवन साथी को लेकर संदेह और भ्रम पैदा होता है।
चंद्र ग्रहण दोष आपके व्यवसाय में बार-बार विफलताओं के कारण निराशा और क्रोध का कारण बन सकता है।
इस दोष के कारण शादी में बाधा आ सकती है या आगे चलकर जीवनसाथी के साथ संबंध विच्छेद होने के योग भी बन सकते हैं।
व्यक्ति गंभीर दुर्घटना का शिकार हो बिस्तर पकड़ लेता है. राहु की दशा खराब होने पर व्यक्ति को पैनिक अटैक आते हैं. दोस्त मुंह फेर लेते हैं और दुश्मनों की संख्या बढ़ने लगती है.
चंद्र राहु ग्रह दोष का कुंडली के भाव अनुसार फलित
प्रथम भाव
- पहले भाव में राहु और चंद्रमा की युति व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन पर अधिक प्रभाव डालती है। इस युति के कारण व्यक्ति स्वाधीनता पसंद नहीं करते हैं और अक्सर अपने अनुभवों से दूसरों को सीख देना चाहते हैं। इस भाव में यह युति बचपन के किसी भय को उजागर कर सकती हैं।
द्वितीय भाव
- दूसरे भाव में राहु-चंद्रमा की युति व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर अधिक प्रभाव डाल सकती है। यह भाव धन, संपत्ति और आर्थिक स्थिति से संबंधित होता है। राहु और चंद्रमा की युति इस भाव में होती है, तो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।
तृतीय भाव
-
जन्म कुंडली के तीसरे भाव में भी चंद्र राहु शुभ फल प्रदान करने वाली नहीं होती है ।
तीसरे भाव में यह युति व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक प्रभाव डालती है।
आप जितना अधिक परिश्रम करेंगे उसके अनुसार आपको फल नहीं मिलेगा ।
चतुर्थ भाव
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यह युति चौथे भाव में अधिक प्रभावी होती है।
इस भाव में यह युति व्यक्ति के संबंधों और सामाजिक स्थान से जुड़े मुद्दों पर असर डालती है।
यह युति व्यक्ति के सामाजिक जीवन पर असर डाल सकती है, जिससे समाज में जातक की छवि प्रभावित हो सकती हैं।
पंचम भाव
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पांचवे भाव में इस युति का प्रभाव जातक की संतान पर होता है।
इस युति के कारण जातक की संतान उत्तम विकास और सफलता का अनुभव कर सकती हैं।
आपको पितृ दोष है क्योंकि आपकी जन्म कुंडली में राहु और चंद्रमा पांचवें भाव में युति में विराजमान हैं।
छठा भाव
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छठे भाव में इस युति का प्रभाव जातक की सेहत और उनकी दैनिक गतिविधियों पर होता है।
यह भाव जातक के दैनिक जीवन के व्यवहार, कार्य-क्षेत्र और संबंधों पर असर डालता है।
छठे भाव में राहु के साथ चंद्रमा भी ‘अभिचारी दोष’ का निर्माण करते हैं।
सातवां भाव
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सातवें भाव में इस युति का प्रभाव जातक के भाग्य और उनके अनुभवों पर होता है।
व्यापार में हानि का योग बनता है, पलायनवादी दृष्टिकोण को जन्म देता है।
आप यौन रोगों से पीड़ित हो सकते हैं।
ऐसा इसलिए होगा क्योंकि आपकी कुंडली में दोनों ग्रह मजबूत मारक हैं।
आठवां भाव
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आठवें भाव में राहु-चंद्रमा की युति धार्मिक अथवा आध्यात्मिक गतिविधियों पर प्रभाव डालती है।
इस भाव में राहु की स्थिति के कारण धार्मिक अथवा आध्यात्मिक गतिविधियों में रुकावट आ सकती हैं।
आप एक अशांत मन, अस्थिर रवैया और कुटिल मानसिकता से युक्त होंगे।
नवम भाव
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नौवे भाव में राहु-चंद्रमा की युति विदेश जाने के संबंध में प्रभाव डालती है।
इस भाव में राहु की स्थिति के कारण विदेश जाने में परेशानियां आ सकती हैं।
जातक के पिता के जीवन पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है, वे अक्सर किसी घातक बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं या जीवन भर मानसिक बीमारी से पीड़ित रहते हैं।
दशम भाव
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दसवें भाव में इस युति की वजह से जातक को धन से जुड़े मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है।
जातक के लिए आर्थिक समस्याओं से बचने के लिए बचत और निवेश के लिए सावधान रहना जरूरी हो सकता है।
आपका व्यक्तित्व चतुर, साहसी और बौद्धिक होगा।
ग्यारहवां भाव
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यदि जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में राहु और चंद्रमा दोनों हों तो, जातक के सामाजिक जीवन के साथ-साथ करियर और प्रोफेशनल लाभ से जुड़े मुद्दों पर असर डालती है।
यह जातक के प्रोफेशनल जीवन में समस्याएं पैदा कर सकती है और उनकी उन्नति को रोक सकती है।
जातक को समाज में अपयश और बेइज्जती का सामना करना पड़ सकता
बारहवां भाव
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साथ ही बारहवें भाव में चंद्रमा और राहु की युति होने पर आपका स्वभाव गिरा हुआ होगा।
चंद्रमा राहु की युति से विवाह और पारिवारिक जीवन में घर की प्रतिष्ठा पर अशांत प्रभाव पड़ेगा।
बारहवें भाव में यह युति जातक के लिए स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से संबंधित समस्याएं पैदा कर सकती हैं।
आपकी समस्या का समाधान इस सरल उपाय में है!
चंद्र राहु ग्रहण दोष निवारण यंत्र यह यंत्र भगवान चंद्रमा और राहु को प्रसन्न करने का काम करता है। इस दोष से मुक्ति के लिए श्री चंद्र राहु ग्रहण दोष निवारण यंत्र का दर्शन व पूजन करने से चंद्रमा बलवान होता है। जिसके परिणाम स्वरूप जातक के जीवन में आ रही मानसिक परेशानियां, रोगों से लड़ने की ताकत में कमी, बार-बार रोग होना, मृत्यु समान कष्ट, डिप्रेशन, माता अथवा परिवार की स्त्रियों को कष्ट आदि में आराम मिलता है।.
हमारे द्वारा चंद्र राहु ग्रहण दोष यंत्र पूर्णतः वैदिक विधि विधान से सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित शुभ मुहूर्त में किया जाता है।
चंद्र राहु ग्रहण दोष निवारण यंत्र के लाभ
ताम्रा पत्र में यंत्र सर्वोत्तम व पवित्र माने जाते हैं ।
- इससे आपका मन एकदम शांत हो जाएगा।
- आप खुद को पहले से ज्यादा प्रेरित और उम्मीदों से भरा हुआ महसूस करेंगे।
- आप खुद से बड़ों का सम्मान करना शुरू कर देंगे।
- कॅरियर के हर मोर्चे पर आपको पर्याप्त अवसर मिलेंगे।
- आपके व्यापार और काम करने वाली जगह पर भी बढ़ोतरी होगी।
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क्यों उपयोग करे चन्द्र राहु ग्रहण दोष निवारण यंत्र
ग्रहण दोष के नकारात्मक प्रभाव को दूर करता है।
राहु के प्रभाव को शांत करता है और सकारात्मक सोच को बढ़ाता है।
आपके अज्ञात भय और विकृत सोच से बाहर आने में मदद करता है।
आत्मविश्वास बढ़ाता है और आपके करियर के विकास में सुधार करता है।
व्यक्तिगत संबंधों और विश्वास में सुधार करता है।
ग्रहण दोष के भय और घबराहट के बजाय शांति चुनें
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