pitru paksha, pitru paksha 2023, Pitra Paksha 2023, Pitra Paksha, shraddha 2023, shraddha Month Date, pitru paksha date, Pitru Paksha Shraddh, Pitru Paksha puja vidhi, Pitru Paksha mahatva, Shraddh Paksha , Shraddh niyam, Shradh 2023 Start Date, Shradh 2023 Start Date in India, shradh 2023 date, pitru paksha 2023 in india, pitru paksha significance, pitru paksha niyam, pitru paksha history, pitru paksha India, Tarpan, Tarpan Mahatva, पितृ पक्ष, पितृ पक्ष के नियम, तर्पण, तर्पण का महत्व, श्राद्ध के नियम,pitrupaksha, pitrupaksha 2023, shradh 2023, shradh, til and kush in shradh, pitru paksha in til ka mahatva, pitru paksha 2023, pitru paksha, importance of kush and black til, festivals-and-fasts News, Pitru Tarpan, amavasya tarpan, 96 days of tarpan,

Bhaumvati Amavasya 2023 Pitra Dosh Nivaran : इन संकेतों से जानें आपके पितरो की नाराजगी और प्रसन्न्ता,

भौमवती अमावस्या पर करें 3 आसान उपाय, पितृ दोष होगा दूर-Bhaumvati Amavasya 2023 Pitra Dosh Nivaran

Bhaumvati Amavasya 2023 Pitra Dosh Nivaran: हिन्दू सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है. अमावस्या का दिन हिन्दू धर्म में बहुत महत्व रखता है. यह वह दिन होता है जिस दिन चन्द्रमा पूर्ण रूप से दिखाई नहीं देता है. अमावस्या के दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा की जाती है. भौमवती अमावस्या का दिन अमावस्या का ही एक दिन होता है जो मंगलवार के दिन होता है. अमावस्या का दिन जब मंगलवार को आता है तो उस अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा जाता है. भौमवती अमावस्या को ’भौम्य अमावस्या’ या ’भौमवती अमावस्या’ भी कहा जाता है. मंगलवार के दिन आने के कारण हनुमान जी और मंगल देव की भी पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती हैं

भौमवती अमावस्या 2023 शुभ मुहूर्त
मंगलवार, 21 मार्च 2023
अमावस्या प्रारंभ : 21 मार्च 2023 को 01 बजकर 47 मिनट पर
अमावस्या समाप्त : 21 मार्च 2023 को रात 10 बजकर 53 मिनट पर

भौमवती अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग और पंचक
21 मार्च को भौमवती अमावस्या को सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 05:25 बजे से लेकर अगले दिन 22 मार्च को सुबह 06:23 बजे तक है. इस दिन शुभ योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक है. उसके बाद से शुक्ल योग प्रारंभ हो जाएगा.मार्च 2023 को रात 10 बजकर 53 मिनट पर

पितरों के नाराज होने के संकेत

1. पितृ दोष होने या पितरों के नाराज होने से परिवार की वंश वृद्धि या संतान प्राप्ति का सुख नहीं मिल पाता है.

2. जब आपके कोई भी कार्य सफल न हों. हर काम में अड़चनें आनी शुरु हो जाएं तो समझा जा सकता है कि पितर नाराज हैं.

3. परिवार में एक के बाद एक सदस्य बीमार होता हो. एक ठीक हो तो दूसरा बीमार पड़ जाता हो, यह पितरों के दोष या नाराजगी के कारण हो सकता है. पितरों की शांति करने से इससे मुक्ति मिलती है.

4. यदि आपके पितर नाराज हैं तो परिवार में कभी भी सुख और शांति नहीं रहेगी. हमेशा परिवार के सदस्यों के बीच वाद विवाद बना रहेगा. कलह से जीवन परेशान रहेगा.

5. पितर नाराज होते हैं तो नौकरी या बिजनेस में उन्नति नहीं होती है. आर्थिक तौर पर व्यक्ति परेशान रहता है.

6. कई बार पितृ दोष के कारण विवाह या अन्य मांगलिक कार्यों में समस्याएं आती हैं. ऐसी मान्यता है कि पितर जब तक संतुष्ट नहीं होते हैं, तब तक वे कई प्रकार की बाधाएं पैदा करते हैं. जो संकेत करता है कि आप उनको पहले तृप्त कर दें.

अमावस्या पर पितृ दोष उपाय

  1. पितरों की प्रसन्नता के लिए गंगा स्नान

भौमवती अमावस्या को प्रात: गंगा नदी में स्नान करें या घर पर गंगाजल मिले पानी से स्नान करें. उसके बाद हाथ में कुश लेकर पितरों को जल से तर्पण दें. ऐसा करने से पितर तृप्त होते हैं. पितर लोक में जल की कमी होती है, इसलिए पितरों को जल से तर्पण देकर प्रसन्न किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने के बाद दान करने से अक्षय फल मिलता है.

2.पितृ दोष से मुक्ति के लिए भौमवती अमावस्या पर पितरों के लिए पिंडदान

पितृ दोष से मुक्ति के लिए भौमवती अमावस्या पर अपने पितरों के लिए पिंडदान करें. उनका श्राद्ध कर्म करें. ब्राह्मणों को दान दें, भोजन कराएं. कौआ, गाय, पक्षियों को भोजन दें.

3. पितृ दोष से मुक्ति के लिए गौ दान भी किया जाता है.

दो प्रकार से गाय का दान किया जा सकता है। एक तो अपने मृत परिजनों के नाम से और दूसरा स्वयं। यदि आप अपने पितरों की प्रसन्न्ता चाहते हैं, उनका शुभ आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो पितरों के नाम से गाय का दान अमावस्या,  पूर्णिमा तिथि, मृत परिजन की तिथि अथवा पितृपक्ष के समय में अवश्य करना चाहिए। यदि आप स्वयं गाय का दान करना चाहते हैं तो उसके लिए भी ऊपरोक्त तिथि तथा आपका जन्मदिन का समय सबसे अच्छा कहा गया है। 

गौदान वैसे तो वर्ष में कभी भी किया जा सकता है, लेकिन ऊपरोक्त विशेष दिनों में गाय का दान किया जाए तो अति शुभफलदायी होता है। गरुड़ पुराण के अनुसार गाय दान करने का सबसे उत्तम समय अमावस्या,  पूर्णिमा तिथि, मृत परिजन की तिथि अथवा पितृपक्ष कहा गया है।

भौमवती अमावस्या के दिन आप पितरों के निमित्त दान करते हैं तो नाराज पितर भी प्रसन्न हो जाते हैं और वे अपने वंश की तरक्की का आशीर्वाद देते हैं. 

इस दिन किसी गरीब को मसूर दाल सवा किलो दान करने से आपके जीवन के मंगल दोष का निवारण होगा. 

भौमवती अमावस्या के दिन क्या करना शुभ होता है

ऐसा कहा जाता है कि इस दिन ब्राह्मण को धोती और गमछा दान करने पर पितर बेहद प्रसन्न होते हैं।

 

साथ ही ब्राह्मण के दान से व्यक्ति को नौकरी में आ रही समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा आप कोई चांदी की वस्तु भी दान में दे सकते हैं। ऐसा करने से आपको जीवन में सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

 

आप चाहें तो ब्राह्मण को दूध और चावल का दाम भी दे सकते हैं।

 

इस तरह के दान से वंश की वृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस बात का ख्याल रखें की अमावस्या के दिन आप जो भी दान करें उस दौरान दान की वस्तु के साथ काले तिल का उपयोग अवश्य करे।

दान करने का अर्थ केवल भौतिक वस्तुओं का दान करना ही नहीं अपितु अपने अहंकार, क्रोध, मोह, काम को छोड़ना भी दान ही है। वस्तुत: दान करने से मनुष्य भौतिक जगह के पापों से मुक्त होकर पुण्य फल को प्राप्त होता है और मृत्यु के उपरांत दान कर्म के अनुसार सुखों को भोगता है।

महादान :  हमारे धर्म शास्त्रों में महादान का विस्तृत वर्णन आया है। सामान्यरूप से दस विशिष्ट प्रकार के पदार्थो के दान को महादान कहा गया है। महादान देने से मनुष्य जीते-जी पृथ्वी पर सुखों को भोगता है और मृत्यु के उपरांत मोक्ष को प्राप्त होता है। महादान में दस वस्तुएं शामिल होती हैं जिनका दान करना सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। ये हैं गाय, भूमि, तिल, सोना, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी तथा नमक। यह दान पितरों के निमित्त दिया जाता है।

अष्ट महादान  : महादान की तरह अष्ट महादान भी बताया गया है। अष्ट महादान में आठ प्रकार की वस्तुओं का दान पितरों के निमित्त दिया जाता है। इनमें तिल, लोहा, सोना, कपास, नमक, सप्तधान्य, भूमि तथा गौ होते हैं। सप्त धान्य जौ, गेहूं, धान, तिल, टांगुन, सांवा तथा चना ये सप्त धान्य कहलाते हैं। मतांतर से जौ, धान, तिल, कंगनी, मूंग, चना तथा सांवा को भी सप्त धान्य कहा गया है।

सप्त धान्य दान : 
सप्त धान्य जौ, गेहूं, धान, तिल, टांगुन, सांवा तथा चना ये सप्त धान्य कहलाते हैं। मतांतर से जौ, धान, तिल, कंगनी, मूंग, चना तथा सांवा को भी सप्त धान्य कहा गया है।



Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights