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9 Grah, 9 Mantra and 9 Daan: 9 ग्रह, 9 मंत्र, 9 दान- हर समस्या का समाधान

9 Grah, 9 Mantra and 9 Daan

वैदिक ज्योतिष में 9 ग्रह है और ऋषि मुनियों ने हर ग्रह के मंत्र बताए हैं, जिनके प्रभाव से उसके अशुभ प्रभाव में कमी होती है। व्यक्ति की जन्मपत्री में जिस ग्रह का अशुभ प्रभाव होता है उस ग्रह से संबंधित मंत्र का जाप करने से उसके अशुभ प्रभाव में कमी आती है।

वहीं आपको यह ध्यान भी रखना होगा कि जिस ग्रह के मंत्र का आप जाप कर रहे हैं, उसकी कम से कम एक माला का जाप तो आप अवश्य करें। सामान्य रूप से आप मंत्र का जाप करने के लिए रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं

9 Grah, 9 Mantra and 9 Daan

कौन कौन से है ? 

सूर्य/रवि 

सूर्य तांत्रिक मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नम:।

एकाक्षरी बीज मंत्र- ॐ घृणि: सूर्याय नम:

जप संख्या- 7000।

रोज सुबह सूर्य अर्घ्य देकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए। सूर्य मंत्र जाप रविवार अथवा सूर्य के नक्षत्र में आरंभ करना चाहिए । सूर्य मंत्र का जाप सूर्य यंत्र के सामने बैठकर करना चाहिए। 

दान- माणिक्य, गेहूं, धेनु, कमल, गुड़, ताम्र, लाल कपड़े, लाल पुष्प, सुवर्ण।

 

चंद्र/ सोम 

चंद्र तांत्रिक मंत्र- ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:’।

चंद्र एकाक्षरी मंत्र- ॐ सों सोमाय नम:।

जप संख्या- 11,000।

इस मंत्र जाप हर सोमवार शिवलिंग के सामने चंद्र यंत्र के सामने बैठकर करना चाहिए। 

दान- वंशपात्र, तंदुल, कपूर, घी, शंख।

 

मंगल/भौम 

भौम मंत्र- ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:’।

भौम एकाक्षरी मंत्र- ॐ ॐ अंगारकाय नम:।

दान- प्रवाह, गेहूं, मसूर, लाल वस्त्र, गुड़, सुवर्ण ताम्र। 

जप संख्या- 1000। इस मंत्र जाप भूमि पुत्र मंगल के लिए किया जाता है। इस मंत्र जाप मंगलवार को

अथवा मंगल के नक्षत्र में, मंगल की होरा में आरंभ करना चाहिए। मंगल यंत्र के सामने बैठकर करना चाहिए। 

 

बुध

बुध मंत्र- ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’।

बुध का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ बुं बुधाय नम:’।

जप संख्या- 9,000। इस मंत्र जाप हर बुधवार अथवा बुध के नक्षत्र में, बुध की होरा में आरंभ करें

करना चाहिए । मंत्र जाप गणेशजी के मंदिर में कर सकते हैं अथवा बुध यंत्र के सामने बैठकर करना चाहिए। 

दान- मूंग, हरा वस्त्र, सुवर्ण, कांस्य।

 

गुरु/बृहस्पति 

गुरु मंत्र- ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:’। 

गुरु का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ ब्रं बृहस्पतये नम:’।

जप संख्या- 19,000। इस मंत्र जाप से शिवलिंग के सामने अथवा गुरु यंत्र के सामने बैठकर करना चाहिए। जाप हर गुरुवार को अथवा गुरु के नक्षत्र में, गुरु की होरा में आरंभ करना चाहिए।

दान- अश्व, शर्करा, हल्दी, पीला वस्त्र, पीतधान्य, पुष्पराग, लवण।

 

शुक्र
 
शुक्र मंत्र- ‘ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:’।
शुक्र का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ शुं शुक्राय नम:’।
जप संख्या- 16,000। इस मंत्र जाप शिवलिंग के सामने अथवा शुक्र यंत्र के सामने बैठकर हर शुक्रवार को  अथवा शुक्र के नक्षत्र में, शुक्र की होरा में आरंभ करना चाहिए।
दान- धेनु, हीरा, रौप्य, सुवर्ण, सुगंध, घी।
 

शनि

शनि मंत्र- ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:’। 

शनि का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’ 

जप संख्या- 23000। हर शनिवार अथवा शनि के नक्षत्र में, शनि की होरा में आरंभ करें शनिदेव के सामने अथवा शनि यंत्र के सामने  बैठकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

दान- तिल, तेल, कुलित्‍थ, महिषी, श्याम वस्त्र।

 

राहु 

राहु मंत्र- ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों स: राहवे नम:’।

राहु का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ रां राहुवे नम:’।

जप संख्या- 18,000, हर शनिवार राहु के मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप शनिदेव की प्रतिमा के सामने राहु यंत्र के सामने  बैठकर करना चाहिए।

दान- गोमेद, अश्व, कृष्णवस्त्र, कम्बल, तिल, तेल, लोहा, अभ्रक। 

 

केतु

केतु का तांत्रिक मंत्र- ‘ॐ स्रां स्रीं स्रों स: केतवे नम:’।

केतु का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ के केतवे नम:’।

जप संख्या- 17,000। हर शनिवार / बुधवार इन ग्रहों के मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप शनिदेव की प्रतिमा के सामने अथवा केतु यंत्र के सामने  बैठकर करना चाहिए।

दान- तिल, कंबल, कस्तूरी, शस्त्र, नीम वस्त्र, तेल, कृष्णपुष्प, छाग, लौहपात्र।

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